किराने की दुकानों पर दूध शक्कर की जगह बिक रही शराब ।लत की वजह से शराबी घर बार बेचने को मजबूर।

शासन द्वारा जनता के विकास के लिए सैकड़ो योजनाएं चला रही हैं। शासकीय स्कूल शासकीय चिकित्सालय, आंगनबाड़ी केंद्र, महिलाओं को सशक्त बनाना, बेरोजगार को रोजगार दिलाने के लिए ऋण ,किसानों के लिए अनेको जनहित योजना आदि योजनाओं में अरबों खरबों रुपए खर्च हो रहा है। शासन की मंशा रही है कि आमजनों का जीवन स्तर में सुधार हो विकास हो। किंतु शराब के ठेकेदार चंद रुपयों के लालच में सभी शासकीय योजनाओं पर पानी फेर रहे हैं।
** जिले के ठेकेदार द्वारा गांव गांव में अपने एजेंटों के माध्यम से शराब भेजकर खुल्लमखुल्ला बिक़बाई जा रही है। शायद ही ऐसा गांव होगा जहां शराब ना मिलती हो। गांव में किराने की दुकान पर दूध शक्कर मिले ना मिले किंतु शराब आसानी से उपलब्ध हो जाती है। सब कुछ जानते हुए भी कोई कार्यवाही ना होना अपने आप में अधिकारियों पर अनेक प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहे हैं। मामला चाहे कुछ भी हो किंतु यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब शराब के चक्कर में बच्चे युवा अपने भविष्य को पूर्ण रूप से बर्बाद कर लेंगे। ऐसी स्थिति में वनांचल गांव में महिला एवं बच्चियों कहां तक सुरक्षित है यह बड़ा ही विचारणीय प्रश्न है।

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