सरकारी शिक्षकों का दर्द
आज मध्यप्रदेश में बड़े, छोटे, निरहू, घुरहू सब बिना हाथ धोये स्कूल के पीछे पड़े हैं,
पता नही कौन सी ब्यार चली है?
समझ नही आ रहा। जिन्होंने कभी कॉलेज नही देखा, वो सुबह स्कूल चेक करने निकलतें है।
जिनको ठीक से हिंदी नही आती वो मास्टरों की अंग्रेजी पर ताना मारते है।
अगर सरकार को लगता है कि स्कूल पर पैसा बेकार खर्च हो रहा है तो स्कूल बंद क्यों नही कर देती सरकार ।
*देश का प्रधानमंत्री झाड़ू लगाए तो वाह वाह, बच्चा झाड़ू लगाए तो मास्टर ससपेंड*
खुले में शौच से मुक्ति के लिए सुबह 4 बजे गांव में टीम तैनात, कि कोई जंगल मे कर न पाए,
अरबों रुपए स्वच्छ भारत मिशन में लगाए गए,
माननीय प्रधानमंत्री जी एक टीम स्कूल के लिए भी बना दीजिये,
कि गांव में कोई बच्चा स्कूल समय मे घूमता नही दिखे,
अध्यापक की सैलरी पर सभी ताना देतें है,
कभी किसी बाबू पर भी उंगली उठाई है किसी ने ?
उनको तो बाबू जी 😡😡
*अगला आधा महीना बीतने तक भी वेतन के दर्शन नहीं होते शिक्षक को*
खाना बनवाये मास्टर
कपड़ा सिलवाए मास्टर
फल बटवाये मास्टर
दूध पिलाये मास्टर
झाड़ू लगाए मास्टर
स्कूल के कमरे बनवाये मास्टर
स्कूल पुतवाये मास्टर
किताब बांटे मास्टर
चुनाव कराए मास्टर
पेट के कीड़े मारे मास्टर
पोलियो मिटाए मास्टर
जनगणना करे मास्टर
बोर्ड एग्जाम कराए मास्टर
प्रशिक्षण भी कराए मास्टर
*अब बताओ पढ़ाई क्या #$# कराएगा मास्टर*
और तुलना प्राइवेट स्कूल से ,
कि वहां पढ़ाई बहुत अच्छी होती है।
वहां मां बाप 2 रोटी पेट मे और 2 टिफिन में रखकर उसको स्कूल भेजकर आतें है और छुट्टी से 10 मिनट पहले लेने पहुच जाएं है।
और
*यहां मंजन तक नही कराते और भेज देतें है जाओ मास्टर है स्कूल में तुमको पालने के लिए*
कभी किसी डॉक्टर से कहा गया कि पहले गांव में जाकर मरीज ढूढ़कर लाओ और फिर उसका इलाज करो।
किसी अधिकारी से नही कहा गया कि गांव में जा के देखो कि क्या परेशानी है। फिर काम करो।
वहां तो सीधा फरमान जारी होता है कि 10 बजे से 12 बजे तक अधिकारी एसी में अपने कार्यालय में बैठकर सबकी समस्याएं सुनेंगे और आफिस में ही जांच करेंगे,
फरियादी उनके पास आयेगा,
इतना ही नहीं मास्टर पहले आपके लाड़ले को बिस्तर से उठाए और अपने साथ स्कूल ले जाये
और वहां नहला धुलाकर तैयार कर नाश्ता कराये और फिर पढ़ाये और आपके घर छोड़ने आये,
साल में कम से कम 10 रविवार को भी स्कूल में रहता है मास्टर,
लेकिन कहते हैं मास्टर की छुट्टी बहुत हैं
उनकी छुट्टियों की कोई गणना नहीं करता जिनकी त्योहारों के साथ-साथ प्रत्येक शनिवार और रविवार की भी रहती हैं,
*तो हमारे लिये ही पैदा किये हैं बच्चे क्या*
इतना ख्याल तो मास्टर कभी अपने बच्चों का भी नहीं रख पाता ?
स्कूल में कोई जानवर बाँधता है,
कोई अनाज रखता है वगैरह-वगैरह और झाड़ू लगाए मास्टर।
अगर आप सहयोग नही कर सकते तो कम से कम अवरोध न पैदा कीजिये,
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