ड़ॉ रघुवंशी के डी जी ओ सर्टीफिकेट पर लगा प्रश्रचिंहऩ डिग्री की बजाय प्रमाणपत्र देकर पल्लू झाडने का भण्डाफोड
हरदा। जिला चिकित्सालय हरदा में पदस्थ रूत्री रोग विशेषज्ञ डा शिरिष रघुवंशी की डीजीओ डिग्री पर प्रश्न चिहन लग गया है। सूचना के अधिकार के तहत बार-बार जानकारी मांगने के बाद भी डीजीओ का सर्टीफिकेट देने की बजाय मध्य प्रदेश आयुविज्ञान परिषद भोपाल का रजिस्टेशन दिखाकर पल्लू झाडा जा रहा है, जबकि बाम्बे के जिस कालेज से दो वर्ष का डीजीओ के सर्टीफिकेट की छायाप्रति नही उपलब्ध करायी जा रही है। जानकारी छिपाने से जाहिर हो रहा है कि दाल में कुछ काला अवश्य है। यही वजह है कि जानकारी देने की बजाया आधी अधूरी जानकारी देकर सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के सिवाय कुछ नही किया जा रहा है। पत्रकार मुकेश दुबे द्वारा बार-बार बाम्बे से किये गये डीजीओ की डिग्रीसर्टीफिकेट की मांगी जा रही है। शिकायत क्रमांक ४२९७१०७,४२९७०७१,४२९६५३५ के तहत जानकारी मांंगी गयी। जिसे नही देकर जनसुनवाई को मजाक बना दिया गया है। २५ जुलाई २०१७ को जनसुनवाई में आवेदन देने के बाद जब जानकारी नही मिली तो २२ अगस्त २०१७ को फिर से आवेदन देकर जानकारी मांगी गयी करीब दो माह होने को है फिर भी जानकारी नही देकर जनसुनवाई के नियमो का उल्लंघन किया जा रहा है, जबकि मध्य प्रदेश शासन द्वारा ऐसा प्रावधान सुनिश्चत किया गया है कि निर्धारित समय सीमा जनसुनवाई के दौरान मांगी गयी जानकारी उपलब्ध करायी जाये ऐसा नही होने की स्थिति में दण्ड का प्रावधान सुनिश्चित है इसके बाद भी सीएमएचओ द्वारा जानकारी नही देकर जहां एक ओर नियमों का उल्ल्घंन किया जा रहा है वही दूसरी ओर ड़ॉ रघुवंशी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। यही वजह है कि जो जानकारी मांगी जा रही है वह नही दी जा रही है। यदि ऐसा नही होता तो निश्चित रूप से तय सीमा में जानकारी देकर स्थिति को स्पष्ट कर दिया जाता। डीजीओ की डिग्री सर्टीफिकेट पर उठ रहे सवाल- डा रघुवंशी के डीजीओ के सर्टीफिकेट पर जो सवाल उठ रहे है उसका पटाक्षेप नही किया जा रहा है। सीएमएच्ओ सहित अन्य जबावदेह अधिकारी न जाने क्यों इस मामले मेे हस्तक्षेेप करके जो भ्रम की स्थिति निर्मित हो रही है उसे स्पष्ट नही किया जा रहा है जो अत्यंत चिंताजनक है। आर टी आई की जानकारी अधूरी दी गई- आर टी आई के तहत डा रघुवंशी की जानकारी मांगी गयी उसे न देकर रजिस्टेशन प्रमाण पत्र देकर औपचारिकता पूरी गयी। डिग्री देने की बजाय प्रमाण पत्र दिया जा रहा हैै। २२ अगस्त को सूचना के अधिकार के तहत सीएचएमओ द्वारा जो जानकारी दी गयी उसमे सर्टीफिकेट की जगह प्रमाण पत्र खानापूर्ति की गयी। इस रवैये से यह सवाल उठ रहा है कि डा रघुवंशी की डी जी ओ डिग्री है भी या नही। यह सवाल लंबे समय से अनुत्तरित है। जिम्मेेदार अधिकारी पर्दा डालकर न केवल बचाने का प्रयास कर रहे है अपितु शासनादेशो का भी उल्लंघन कर रहे है। सोनोग्राफी सेन्टर बना चर्चा का विषय- शासनादेशों को बलाये ताक पर डा रघुवंशी द्वारा सोनोग्राफी सेन्टर संचालित किया जा रहा है। एस डी एम के छापामार कार्यवाही के बाद भी जो कार्यवाही होनी चाहिए वह नही की गयी। जबकि छापामार के बाद जुर्माना व सोनोग्राफी बंद कराने की कार्यवाही की जानी चाहिए थी। ऐसा नही करके जिम्मेदार अधिकारी न केवल नियम का उल्लंघन किया अपितु कार्यवाही नही करके डा रघुवंशी के मनोबल को और अधिक बढा दिया है। रिश्वत लेकर सीजर करने की शिकायत दफन- रिश्वत लेकर सीजन आपरेशन करने की शिकायत तीन महिलाओं द्वारा लिखित रूप से सीएचएमओ को की गयी जिस पर कार्यवाही के लिए स्वास्थ्य आयुक्त भोपाल को पत्र भेजा गया तीन माह बाद भी आज दिनांक तक न तो कोई कार्यवाही की गयी और इस संबंध में जांच कार्यवाही ही की गयी। अब तो यह सवाल खडा हो रहा है कि स्वास्थ्य आयुक्त को कार्यवाही के लिए पत्र भेजा गया था कि नही। इसको लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे है। मामला चाहे जो हो किन्तु महिलाओं की शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नही होने से महिला उनके परिजन परेशान है। एक बच्चे की उचित देखरेख के अभाव मौत हो चुकी है। यह मामला तूल पकड लिया था तमाम शिकायत विरोध के बाद भी कार्यवाही का नतीजा ढाक के तीन पात के अलावा कुछ नही निकला। यही वजह है कि डा रघुवंशी के रवैये में कोई सुधार नही आ रहा है। वे अभी भी मरीजो की जान से खिलवाड करने के साथ-साथ तमाम जांच के नाम पर मोटी रकम ऐठ रहे है। स्वयं के सोनोग्राफी सेन्टर की आमदनी बढाने के लिए जबरन जांच कार्यवाही लिख देते है। अस्पताल समय में सोनाग्राफी सेन्टर मेंं अधिक समय देते है। जिस समय उनकी अस्पताल में डयूटी रहती है उस समय वे अस्पताल में भरपूर समय नही देते है। कोई न कोई बहाना बनाकर सोनोग्राफी सेन्टर जाते-आते रहते है। तमाम मुद्दो की जांच की मांग कई दफे हो चुकी फिर भी कार्यवाही क्यो नही हो रही है यह एक अहम सवाल बना हुआ है।
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