चुनाव आते ही कुकुरमुत्ते की तरह खडे हो रहे नये-नये संगठन
हरदा। विधान सभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे कुकुरमुत्ते की तरह नये-नये संगठन प्रकाश में आ रहा है। जो अपने स्वार्थो की सिद्धि के लिए जनता-जर्नादन की समस्याओं को लेकर ज्ञापन,विरोध,प्रदर्शन व शिकायत करते है। चुनाव नजदीक आने के बाद ही उनकी हरकते तेज हो जाती है। चुूनाव बीत जाने के बाद ऐसे संगठन फिर से गायब हो जाता है। सबसे ताज्जुब की बात यह है कि नित नए खडे हो रहे संगठनों का कोई जनाधार परिलक्षित नही हो रहा है। ज्ञापन के दौरान संगठन कहकर मुट्ठी भर लोग मौके पर मौजूद रहते है। जो भी कार्यक्रम होते है। उसमें संख्या बल बहुत कम नजर आता है। इससे संगठन कितना प्रभावशाली इसका अंदाजा सहज तरीके से लगाया जा सकता है। ऐसे संगठनों की पडताल के लिए जिला प्रशासन को सजग एवं सक्रिय होना चाहिए ताकि संगठन की आड में निजी स्वार्थो की पूर्ति करने वाले छूुटभैये नेताओं एवं संगठनों का असली चेहरा बेनकाब हो सके। आये दिन ज्ञापन विरोध प्रदर्शन मांग शिकायत होते रहते है। इससे सरकारी कामकाज में व्यवधान भी उत्त्पन्न होता है। संगठन का गठन कब हुआ। इसके गठन की औपचारिकता पूरी की गई की नही आदि सवालों का पता लगाकर संगठन की असलियत को जनता के सामने रखा जा सकता है। इससे होगा यह कि जनता-जर्नादन भी उनके बहकावे में न आकर सजग सक्रिय सतर्क हो सके। चुनावों को ध्यान में रखकर इस तरह का कदम उठाना जरूरी हो गया है।
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