तू डाल डाल मैं पात पात की तर्ज पर हो रहा रेत उत्खनन, नाव में मशीन लगाकर निकाली जा रही है रेत।
मुकेश दुबे
हरदा- तू डाल डाल मैं पात पात की तर्ज पर ठेकेदार रेत का अवैध उत्खनन कर जहां एक ओर मां नर्मदा के दामन छलनी कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शासनादेशों का उल्लंघन कर अधिकारियों को चकमा देकर टैक्स की चोरी कर रहे हैं। ऐसे में नर्मदा नदी से बदस्तूर जारी रेत का अवैध उत्खनन कैसे रुकेगा इस पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। करीब एक पखवाड़े पहले SDM ने भमोरी घाट का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान अनेक डंपर , ट्रैक्टर ट्राली और दो मोटर बोड के खिलाफ चालान की कार्यवाही करते हुए मां नर्मदा के टापू में झोपड़ी बना कर रह रहे सैकड़ों मजदूरों को हटाने का आदेश दिया। जिसके परिपालन में मजदूरों ने झोपड़ियां वहां से हटा कर किनारे पर लगा ली। और कचरा गंदगी जो कि गई उनकी साफ सफाई नहीं कराई गई। सबसे ताज्जुब की बात यह है कि भमोरी की खदान की परमिशन नहीं है फिर भी जबरदस्ती रेत का अवैध उत्खनन बरसों से हो रहा है। ठेका मनोहरपुरा की खदान का है और उत्खनन भमोरी घाट से हो रहा है। ऐसा किसके आदेश पर हो रहा इसे बताने वाला कोई नहीं। चोर चोर मौसेरे भाई की तर्ज पर कहीं ना कहीं से संरक्षण अवश्य मिल रहा है। जिसके चलते आज तक सख्त कार्यवाही नहीं हो पाई है। जिससे उनका मनोबल इस कदर बढ़ गया कि उन्हें ना तो मां नर्मदा नदी के अस्तित्व की चिंता है और ना ही शासनादेशों की। अवैध उत्खनन में लगे ठेकेदार हाईटेक हो गए पुराने तौर-तरीके को पीछे छोड़ते हुए नाव में मशीन लगाकर रेत का उत्खनन कर रहे हैं।तीन से चार नाव ऐसी है जिनमें रेत निकलने वाली मशीन लगी है। पाइप बीच नर्मदा में डालकर मशीन चालू कर दिया जाता है मशीन तलहटी से रेत को प्रेशर से खींचकर नाव में इकट्ठा कर देती है मात्र 30 मिनट में ही एक ट्रैक्टर रेत नाव में इकट्ठी हो जाती है। जब कभी निरीक्षण के लिए अधिकारी भमोरी आते हैं तो नाविक नाव को देवास जिले के नेमावर के बगल तुलनाल घाट की तरफ ले जाया जाता है। जहां पर सुप्रसिद्ध धर्मगुरु दलाई लामा आए थे। वहां पर रेत का स्टॉक जमा कर मजदूर रेत काम करने लगते हैं। देवास जिले के अधिकारी कार्यवाही करने आते हैं तो मजदूर नाव लेकर जिले के भमोरी घाट में आ जाते हैं। ठेकेदारों मजदूर इतने शातिर है कि अधिकारियों को चकमा देकर सरेआम उनकी आंख में धूल झोंककर अपना बचाव कर लेते हैं। ठेकेदार द्वारा यह खेला वर्षो से खेला जा रहा है राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने के कारण कोई भी अधिकारी ज्यादा तह तक हाथ डालने की कोशिश नहीं करता। दिखावटी कार्यवाही की औपचारिकता पूरी कर वाहवाही लूट ली जाती है। यही कारण है कि तमाम प्रयास के बाद भी रेत का अवैध उत्खनन नहीं रुक रहा है।
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