डीएलएड के अध्ययन केन्द्रो के संचालन में की जा रही खानापूर्ति, विषय विशेषज्ञों से नही दिलवाया जा रहा प्रशिक्षण
हरदा। शिक्षण व्यवस्था को बेहतर ढंग से संचालित करने के लिए केन्द्र सरकार सभी शिक्षको को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसी कडी में प्रदेशभर के अप्रशिक्षित शिक्षको को प्रशिक्षित करने की पहल की जा रही है। इसीके तहत जिले के हजारो अप्रशिक्षित शिक्षको को डीएलएड कराया जा रहा है। इन दिनो शिक्षको को प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम चल रहा है। जिले में करीब एक दर्जन से अधिक अध्ययन केन्द्र बनाये गये है। जहां शैक्षणिक गतिबिधियों का सुचारू रूप संचालन नही किया जा रहा है वही केन्द्रो के चयन में भी पारदर्शिता नही बरती गयी है। हण्डिया, खिरकिया, हरदा के प्रायवेट शिक्षकों शिक्षिकाओं को टिमरनी के अध्ययन केन्द्र में शामिल किया गया है जबकि टिमरनी के शिक्षको को हरदा खिरकिया में भेजा जा रहा है। अध्ययन केन्द्र शिक्षको की सुविधा को ध्यान में रखकर नही बनाया गया है। दूर से आने के कारण जहां शिक्षक समय पर प्रशिक्षण में पहुंच नही पा रहे है वही दूसरी ओर प्रशिक्षण देने में औपचारिकता पूरी की जा रही है। विषय के विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करने की बजाय खानापूर्ति के लिए अनुभवहीन शिक्षको से प्रशिक्षण कार्य करवाया जा रहा है। जिससे शिक्षक संतुष्ट नही है। अभी तक जितने विषय में प्रशिक्षण दिया गया है उसका परीक्षण किया जाये तो प्रशिक्षको ने प्रशिक्षण देने में कितनी पारदर्शिता बरती है इसका पता चल सकता है। सबसे ताज्जुब की बात यह है कि इस संबध में जब जिला शिक्षा अधिकारी जे एल रघुवंशी से बात की गयी तो उन्होने यह कहकर अपना पल्लू झाड लिया कि केन्द्रो का संचालन आन लाइन हो रहा है। केन्द्रो के बारे में किसी प्रकार की कोई जानकारी नही है। स्कूलो में प्रशिक्षण हो रहा हो और जिले के शिक्षा विभाग के मुखिया को इसकी खबर न हो यह बात सुनने वालों के गले नही उतर रही है। केन्द्रो के संचालन में पारदर्शिता नही बरती जा रही है। शिक्षको की सुविधा को ध्यान में रखकर केन्द्र संचालित किये जाते तो शिक्षको को प्रशिक्षण लेने में न केवल सुविधा होती अपितु पूरी तन्मयता से प्रशिक्षण लेकर शिक्षक परीक्षा देते। किन्तु दुर्भाग्य की बात यह है कि आंख मूदकर शिक्षको के प्रशिक्षण केन्द्र निर्धारित कर दिये गये है। परीक्षा फार्म के नाम पर विषयवार ढाई सौ रूपये की दर फीस वसूलने की कार्यवाही की जा रही है जबकि प्रवेश फार्म के समय इस फीस वसूली की कोई जानकारी नही दी गयी थी। परीक्षानजदीक आते ही ढाई सौ रूपये की दर से विषयवार फीस वसूली कर प्रशिक्षण ले रहे शिक्षको पर आर्थिक बोझ डाल दिया गया है। दूर दराज से आने वाले शिक्षक परिवहन में काफी पैसा व्यय कर रहे है। जो शिक्षक हण्डिया खिरकिया से टिमरनी व दूरस्थ केन्द्रों में प्रशिक्षण लेने जा रहे है उन्हे परिवहन में रोजाना १०० रूपये से अधिक लगरहा है। शिक्षको की सुविधा को नजरंदाज करते हुये मनमानी की जा रही है। नियमानुसार एम एड एवं पीएचडी वाले अनुभवी शिक्षको से प्रशिक्षण दिलवाना चाहिए किन्तु ऐसा नही हो रहा है। जिसकी जांच पडताल की जाये तो प्रशिक्षण देने में औपचारिकता पूरी करने का मामला उजागर हो सकता है।
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