नपा अध्यक्ष ने पार्षदों के आरोप को किया बेनकाब।
। हरदा। नगर पालिका के कुछेक पार्षदो द्वारा स्वच्छता मामले में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है।इस संबंध में पार्षदो ने सी एम ओ दिनेश मिश्रा को पत्र लिखकर बैठक बुलाने एवं जानकारियां देने की बात कही। जिसकों ध्यान में रखते हुये शुक्रवार को बैठक हुई। जिसमें नपा अध्यक्ष सुरेन्द्र जैन ने सारे आरोपो को खारिज करते हुये कहा कि स्वच्छता अभियान के लिए अभी तक नगर पालिका कोई राशि प्राप्त नही हुई है। इस संबध मे पत्र का हवाला भी दिया। श्री जैन ने निर्माण एवं विकास कार्यो का हवाला देते हुये कहा कि परिषद की बैठक में 10 हजार से ऊपर के कार्यो पर चर्चा करने का प्रावधान है जबकि पी आई सी की बैठक में 20 लाख से ऊपर के निर्माण कार्यो पर चर्चा कर कार्यवाही करने का प्रावधान है। पी आई सी में जहां सात मेंबर होते है वही परिषद में ३५। बैठक में जो चर्चा होगी निश्चित रूप से उसे मालूम होगा। सभी पार्षदो को निर्माण व विकास कार्यो की फाइल देखने का अधिकार है। कार्यालय समय में आकर फाइल देख सकते है। इसके अलावा सूचना अधिकार के तहत कोई भी जानकारी ले सकता है। कांग्रेस एवं भाजपा पार्षदोंके आरोपो को एक सिरे से खारिज करते हुये उसे बेबुनियाद बताया। ★भाजपा पदाधिकारियों को बैठक से उठाया गया★ पार्षदों की बैठक में भाजपा के पदाधिकारी भी मौजूद थे। इसका विरोध किया गया तो भाजपा पदाधिकारी को बैठक से बाहर कर दिया गया और जानकारी दी गयी। सीएमओ को बैठक के संबध में १२ पार्षदो ने पत्र दिया था बाद में पार्टी के दबाव में आकर ४ पार्षद बैठक बुलाने एवं जानकारी मांगने से मुकर गये। ४ कांग्रेस के और ४ भाजपा पार्षदो ने अध्यक्ष की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुये विकास व निर्माण कार्यो को जानकारी देने की बात कही। ★आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी★- नगर पालिका में आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। जहां एक ओर कांग्रेस पार्षद अध्यक्ष के तानाशाही रवैये को उजागर कर भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग पर अडे हुये है वही दूसरी ओर अध्यक्ष सारे आरोपो को खारिज करते हुये पूरी फाइल को देखने के लिये प्रस्तुत कर दिया। इसमें सच्चाई क्या है इसका पता लगाने के लिये जांच कराना अब आवश्यक हो गया है। कांग्रेस पार्षद दीपाली आदित्य गार्गव एवं मुन्ना पटेल का कहना है पार्टी केे पार्षद को नोटिस देकर दबाव बनाया जा रहा है। और सारे कारनामों पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। ऐसा आरोप कांग्रेस पार्षदो ने लगाया है। इस आरोप में कितनी सच्चाई है इसका पता तो गहन जांच के बाद चलेगा किन्तु खिसियान बिल्ली खंभा नोचे वाली कहावत के तर्ज पर जो घटनाक्रम चल रहा है। उससे जाहिर हो रहा है कि दाल में काला अवश्य है। यही वजह है कि पार्षदो की बैठक में पदाधिकारियों को बुलाया गया और फिर बाद में नोटिस देकर जबाव मांगा गया। यह मामला तूल पकड लिया है। इसकों लेकर भाजपा में घमासान का माहौल बन गया है। इससे जाहिर हो रहा है कि कही न कही कमी व कमजोरी अवश्य है जिसे दबाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। बहरहाल नतीजा चाहे जो निकले चालू घटनाक्रम को लेकर लोगो के दिलोदिमाग में तरह-तरह के सवाल उठ रहे है। यदि सब कुछ सही है तो सांच को आंच कहा की तर्ज पर सारी स्थिति को स्पष्ट कर देना चाहिए किन्तु ऐसा क्यों नही किया जा रहा है। यह जांच का गंभीर विषय बन गया है।
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