पंजीयन की गडबडी से अटका भावान्तर भुगतान आंख मूंदकर की गई पंजीयन की कार्यवाही

हरदा। जिले में भावान्तर योजना के तहत पंजीयन में व्यापक पैमाने पर गडबडी होने का मामला प्रकाश में आया है। जिसके कारण जहां एक ओर समय सीमा में भुगतान नही हो पा रहा है वही दूसरी ओर सीएम हेल्पलाइन करीब ४०० किसानों की शिकायतों का निराकरण नही हो पा रहा है। सहकारिता विभाग, खाद्य विभाग एवं राजस्व विभाग को दी गयी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाया नही गया जिसके चलते बडी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गयी है। भावान्तर योजना के तहत किसानों का पंजीयन आंख मूंदकर किया गया है। उडंद, सोयाबीन, मकका,तुंवर,मूंग का पंजीयन करने में पारदर्शिता नही बरती गयी। जहां एक ओर पंजीयन करने में किसान के नाम,खाता नंबर एवं आई एफ एस सी कोड नंबर लिखने में गडबडी की गयी वही दूसरी ओर राजस्व विभाग के पटवारी ने फसल के मान से रकवा निर्धारित नही किया गया। जिसके चलते किसानों को भुगतान में दिककत आ रही है। पंजीयन है उडद का और किसान बेच रहे सोयाबीन इस कारण भुगतान अटका हुआ है। पंजीयन का रिकार्ड खंगाला जाये तो पंजीयन आंख मुदकर करने रोचक मामला प्रकाश में आ जायेगा। रकवे के मान से फसल का पंजीयन होना था ऐसा नही किया गया है। जिसके चलते हजारो किसानो का भुगतान अटका हुआ है। उडद के पंजीयन पर सोयाबीन बेचने के कारण हरदा खिरकिया सिराली के अधिकांश किसानों का भुगतान लंबित है। पटवारी द्वारा रकवा का निर्धारण किया जाना था। ऐसा क्यों नही किया गया यह जांच का विषय बन गया है। सिराली मण्डी की आई डी पोर्टल पर दर्ज नही- सिराली मण्डी की आई डी अभी तक पोर्टल पर दर्ज नही है जिसके कारण सिराली के किसान भुगतान नही होने की शिकायत हरदा मण्डी से कर रहे है। सिराली मण्डी से जुडे ८० फीसदी किसान हरदा मण्डी की शिकायत कर रहे है इसीतरह १०फीसदी शिकायत खिरकिया मण्डी में दर्ज है। जिले में सर्वाधिक करीब ४०० सीएम हेल्पलाइन की शिकायते भावान्तर भुगतान योजना से जुडी हुई है। भावान्तर पोर्टल पर करीब एक हजार से अधिक सिराली के किसानों का नाम दर्ज ही नही है। सत्यापन नही होने कारण परेशानी हो रही है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि सत्यापन नही होने के कारण हजारो किसानों का नाम ही सूची में नही आया है। इस अनियमितत को नजरंदाज किया जा रहा है। जिसके कारण सिराली के सर्वाधिक किसानों का भुगतान अटका हुआ है। जिले के जो किसान अन्य जिलो में जाकर फसल बेंचे है। उनका भी भुगतान सत्यापन नही होने के कारण लंबित है।एन आई सी पोर्टल पर किसानों की सूची अपलोड करने में अनियमितता की गई है। किसानों का नाम सूची में नही है जबकि रिपोर्ट पोर्टल पर इन्ट़्ी है। किसानों की सुविधा को ध्यान में रखकर बडी गंभीरता से लेकर पोर्टल अपडेट व किसानो की सूची का सत्यापन करना था। ऐसा नही किया गया जिसके कारण तमाम परेशानी उत्पन्न हो रही है। १५ से २५ नवबंर तक पंजीयन किसानों का किया गया। इसकी सिरीज ७१७ से शुरू है। किसान कोड के आधार पर राजस्व अमले को सत्यापन की कार्यवाही समय सीमा में सुनिश्चित करना था किन्तु ऐसा नही किया गया। सूत्रो के मुताबिक यह कार्यवाही अभी भी प्रक्रियाधीन है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है जिम्मेदार अधिकारी अपने दायित्वों का कितनी इ्र्रमानदारी से निर्वहन कर रहे है। विक्रय फसल एवं रकवा का सत्यापन हो गया होता तो शायद ऐसी नौबत सामने नही आती किन्तु ऐेसा नही करके जो समस्या उत्पन्न कर दी गयी है उसका खामियाजा मण्डी सचिव हरदा एवं उप संचालक कृषि हरदा को भुगतना पड रहा है। अन्य जिलों की तर्ज पर नही हो रहा भुगतान- अन्य जिलो में जिला कोषालय द्वारा भावान्तर योजना के तहत किसानों के खाते में राशि डाली जा रही है किन्तु हरदा जिले की प्रक्रिया अन्य जिलो से अलग होने के कारण किसानों का भुगतान करने में परेशानी सामने आ रही है। इस तरफ ध्यान नही दिया जा रहा है जबकि यह किसानों की ज्वलंत समस्या है। समय पर भुगतान कराने के लिए यह आवश्यक हो गया है कि भावान्तर योजना के तहत भुगतान की प्रक्रिया को बदल दिया जाये तो निश्चित रूप से भुगतान मे जो परेशानी सामने आ रही है वह दूर हो सकती है। पंजीयन में समर्थन मूल्य इन्ट्ी- पंजीयन के समय फसल के अनुसार समर्थन मूल्य इन्ट्ी किया गया था जिसके कारण भी राशि में अंतर सामने आ रहा है। सही तरीके से फसल एवं रकवे का निर्धारण पटवारी द्वारा करवाया गया होता तो ऐसी स्थिति नही बनती। आंख मूंदकर पंजीयन कार्यवाही करने के कारण भुगतान कार्यवाही अधर में लटकी हुई है। इस मामले की समीक्षा कराकर समय रहते उचित कार्यवाही नही की गई तो निकट भविष्य इस समस्या का गंभीर परिणाम सामने आएगा

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