राष्ट्रीय पशु का दर्जा मिलना तो दूर मारे मारे फिर रही गौ माता। सींग में रेडियम लगाकर दुर्घटना रोकने की चल रही कवायद।
हरदा। यातायात एवं पुलिस महकमा द्वारा गौ माता के सींगों पर रेडियम लगाकर दुर्घटना रोकने की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास किया जा रहा है। गाय आवारा क्यों घूम रही है। इसके कारणों पर गहराई से विचार मंथन नहीं किया जा रहा है। अगर इस पर विचार कर उचित एवं मुकम्मल पहल की जाए तो संभव ऐसी नोबत सामने ही ना आए। आमतौर पर शहर के अनेक लोग गाय पालते हैं और दूध दुहने के बाद सड़को पर खुला छोड़ देते हैं। जो दूध देना बंद कर देती है एवं बछड़ा को आवारा छोड़ दिया जाता है। पशु चिकित्सा विभाग द्वारा पालतू जानवरों के आधार नंबर जारी करने का एक अभियान चलाया गया है। जिसके क्रियान्वयन में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है। जिसके कारण सड़कों पर आवारा घूमने वाले जानवर किसके इसका पता नहीं चल पा रहा है। आवारा घूमने वाले गाय व अन्य जानवरों को दुर्घटना रोकने के मकसद से रेडियम लगाने की वजह उन्हें जिले में संचालित विभिन्न गौशालाओं को दे दी जाए तो उनकी देखभाल अच्छे से हो सकेगी। साथ में यातायात को भी सुगम और व्यवस्थित किया जा सकेगा। इसके अलावा जो पशुपालक गाय को पालते हैं और दूध दुहने के बाद उसे चरने के लिए छोड़ देते हैं। उनके खिलाफ जुर्माना लगाने की कार्यवाही की जाए तो वह गाय व अन्य पशुओं को आवारा छोड़ने से हाय तौबा कर लेंगे।
* गाय हमारी माता है।*
गाय को माता की संज्ञा दी गई है। देशभर में इसे राष्ट्रीय पशु का दर्जा देने की कवायद चल रही है। फिर भी गाय को संरक्षित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। गाय के साथ कोई घटना हो जाती है तो अनेक संगठन सहानुभूति लेने के लिए सक्रिय हो जाते हैं और हिंदुत्ववादी होने का दंभ भरते हुए गाय को बचाने की वकालत कहते हैं। गाय मारी मारी सड़क पर फिर रही है कूड़ा करकट पन्नी पॉलिथीन खाकर असमय जीवन लीला समाप्त कर रही है। इस पर तनिक भी ध्यान व विचार नहीं किया जा रहा है। जबकि इसकी आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है।
*आवारा मबेशियो ने तोड़े लाखो के डस्टबीन*
स्वच्छता अभियान चलाकर नगर पालिका को देश प्रदेश में नंबर वन लाने की दिशा में पुरजोर प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत लगाए गए डस्टबिन आवारा मवेशी तोड़ रहे हैं। करीब 40 से अधिक डस्टबिन टूट चुके हैं। एक डस्टबिन लगाने में करीब 7500 रुपए का खर्चा आया। इस प्रकार नगरपालिका को लाखो रुपए का नुकसान हो चुका है। फिर भी गौ माता को स्थाई मुकाम दिलाने की दिशा में कोई पहल नहीं की जा रही है। शासन की मदद से जिले में तमाम गौशालाएं चल रही है। जिसमें आवारा गायों को प्रशासन द्वारा छोड़ा जा रहा सकता है। इससे समस्या का न केवल समाधान हो जाएगा अपितु गौ माता की उचित सम्मान के साथ देखभाल हो सकेगी। कुत्ते सूअर की समस्या से निजात पाने के लिए अभियान तो चलाया गया किंतु गौमाता को ससम्मान व्यवस्थित करने की दिशा में कोई संगठन व प्रशासन आगे आकर पहल नहीं कर रहा जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
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