दिव्यांगों के लिए लोक सेवा केंद्र बना परेशानी का सबब। दिव्यांग लोक सेवा केंद्र में दे रहे 35 से 50 रुपये। यूनिक आईडी के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे दिव्यांग।

हरदा लोकसेवा केंद्र ने दिव्यांगों से 35 से ₹50 लिए जा रहे हैं जहां एक ओर निशुल्क बनने वाले दिव्यांगता प्रमाण पत्र के लिए शुल्क लिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर ऑनलाइन प्रमाण पत्र को डीआरएम कार्यालय द्वारा मान्य नहीं किए जाने के कारण यूनिक आईडी के लिए सत्यापित न्याय विभाग एवं कलेक्टर कार्यालय का अनावश्यक चक्कर काटना पड़ रहा है। विभागीय अधिकारी भी दिव्यांग जनों की परेशानी को नजरअंदाज कर रहे हैं। जिसके कारण परेशानी और बढ़ गई है। मेडिकल बोर्ड के डॉक्टर मंगलवार के दिन नियमित बैठकर दिव्यांग जनों की परेशानी को देख सुनकर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर रहे हैं। मेडिकल बोर्ड के डॉक्टर का हस्ताक्षर कराने के लिए भी दिव्यांग जनों को भटकना पड़ रहा है।
* यह समस्या लंबे समय से विद्यमान हैं। दिव्यांगजन अपनी पीड़ा जिसको भी सुनाते हैं वह गंभीरता से लेकर उसकी समस्या का समाधान नहीं कर रहा है। जहां एक ओर सरकार द्वारा दिव्यांग जनों को सुविधा देने के लिए नित नए प्रयास कर रही है, सुविधा को ध्यान में रखते हुए छूट प्रदान कर रही है। वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारी संवेदनहीनता का परिचय देते हुए बेरहम दिल होने का परिचय दे रहे हैं।
* नव प्रांतीय विकलांग एवं उत्थान संगठन म प्र के प्रदेश अध्यक्ष बलवीर सिंह राजपूत ने जिला कलेक्टर को 16 अगस्त को पत्र लिखकर दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी करने की व्यवस्था में परिवर्तन करने की मांग की। सामाजिक न्याय निशक्तजन कल्याण विभाग द्वारा लोक सेवा केंद्र के माध्यम से प्रमाण पत्र जारी करने की जो व्यवस्था सुनिश्चित की गई है उससे परेशानी कम होने की वजह और बढ़ गई है।
* निशुल्क प्रमाण पत्र बनवाने के लिए 35 से ₹50 देना पड़ रहा है इसके बाद भी भोपाल और कलेक्टर कार्यालय व सामाजिक न्याय विभाग का चक्कर काटना पड़ रहा है दिव्यांग जनों के हक एवं हित को ध्यान में रखते हुए सामाजिक न्याय विभाग के माध्यम से ही प्रमाण पत्र जारी करने की सारी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए तो परेशानी का समाधान हो सकता है इस संबंध में नवागत जिला कलेक्टर के विश्वनाथन को अवगत करा दिया गया है अब देखना यह है कि दिव्यांग जनों की समस्या को गंभीरता से ले का समाधान की दिशा में क्या उचित कदम उठाया जाता है। क्या कहते हैं जवाबदार
मंगलवार को विकलांग पुनर्वास केंद्र में प्रमाण पत्र बनाने के लिए चिकित्सक मौजूद रहते हैं और कर्तव्य निर्वहन में पूरी पारदर्शिता बरतते हैं ताकि फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र ना बन सके विकलांगों को हरसंभव सुविधा दी जाती है वास्तविक विकलांग को बिल्कुल भी परेशानी नहीं होती है ।
मनीष शर्मा जिला चिकित्सालय अधिकारी हरदा


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