20 वी सदी जैसा जीवन जीने को अभिशप्त पीलियाखाल वासी। चुनाव बहिष्कार के निर्णय से अधिकारी पशोपेश में।

मुकेश दुबे
हरदा। नगर पालिका की सीमा में पीलियाखाल को बरसों पहले शामिल तो कर लिया। जनजीवन में जुड़े मूलभूत सुविधाओं का प्रबंध नहीं किया गया। परिणाम स्वरूप लोग 20 वी सदी जैसी जीवन जीने को अभिशप्त हैं।पानी, सड़क, नाली जैसी सुविधा मिलना मुहाल हो गई है। बारिश मे मरीज को अस्पताल पहुंचने में अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ती है। कुए का पानी पीने को मजबूर हैं खारा एवं गंदे पानी को जोखिम पूर्ण तरीके से निकालकर लोग उपयोग कर रहे हैं। पट्टे की सुविधा आज तक नहीं मिल पाई है। जबकि इनके लिए सारी कागजी कार्यवाही पूरी करने के अलावा अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को भी इस समस्याओं से अवगत करा दिया गया है। फिर भी आज तक उनका कोई समाधान नहीं किया गया है **चुनाव बहिष्कार से उड़ी नींद*** पीलिया खाल के लोगों के चुनाव बहिष्कार के निर्णय से अधिकारियों की नींद उड़ गई है। वीर सावरकर वार्ड में कुल 500 मतदाता है। वार्ड के लोगों ने मतदान नहीं करने का निर्णय लेकर एक बोर्ड लगा दिया है जिससे अधिकारी पशोपेश में आ गए हैं। और रूठे मतदाताओं को रिझाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस कोशिश में उन्हें अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है। मतदाताओं के तीखे तेवर से चुनावी माहौल गरम गया है। किसी भी प्रत्याशी के समर्थक इस वार्ड में चुनाव प्रचार के लिए नहीं आ रहे हैं । ***विकास की पोल खुली*** जिला प्रशासन नगर पालिका राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों के वादों की पोल खुल गई है। तमाम दावे वायदों के बाद भी सड़क नाली पट्टा पेयजल स्टेट लाइट जैसे ज्वलंत समस्याओं के समाधान के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं शुरू किया गया है। लिहाजा लोग आधुनिकता के इस दौर में भी नारकीय जीवन जीने को विवश हो रहे हैं। ** पासी मोहल्ले में आना-जाना मुश्किल **पासी मोहल्ले में सकरी गलियां है बड़े वाहन से आना जाना नहीं हो पाता है। जरूरत पड़ने पर लोग अनावश्यक तमाम मुश्किलों को झेलते हैं। जान जोखिम में डालकर कुए से दुर्गंध युक्त खारा पानी निकाल कर पीते हैं। पेयजल का इंतजाम करना बहुत मुश्किल का काम है। बारिश में नाला जब उफान पर आता है तो लोग के घरों में पानी घुस जाता है। नालों का गहरीकरण करा कर सुरक्षा का कोई उपाय नहीं किया जा रहा है। प्रसव पीड़ा होने पर एवं मरीजों को अस्पताल पहुचने ने दिक्कत होती है। बच्चों को स्कूल जाने में असुविधा होती है। बारिश में दाह संस्कार के लिए मुक्तिधाम तक ले जाना बहुत मुश्किल है। सकरी गलियों के कारण शादी विवाह में वाहन घर तक नहीं पहुंच पाते। बरसात में आने जाने के लिए लोग रेल लाइन का सहारा लेते हैं। पैदल एन केन प्रकारेण गंतव्य तक पहुंचते हैं। पूरी बस्ती में दस से बारह पक्के शौचालय हैं। कुछ कच्चे शौचालय संचालित है। अधिकांश लोग खुले में शौच क्रिया करने को विवश है। रामाधार कैथवास का कहना है कि वर्षों की प्रतीक्षा के बाद ना तो पट्टा मिला और ना ही आने जाने के लिए सड़क। जिला कलेक्टर सहित नगर पालिका अधिकारी को समस्या से अवगत कराने पर भी उनका समाधान नहीं किया गया। विधायक सहित सत्तासीन पार्टी भाजपा के नेता से भी समस्या के बारे में बताया गया। फिर भी उनका कोई नतीजा नहीं निकला। इस नाते मतदान नहीं करने का निर्णय लिया गया है।

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