कार्यकर्ताओ को खरी-खोटी सुना रही जनता। ज्वलंत मुद्दों की अनदेखी से जनता का तेवर उग्र।
विधानसभा चुनाव 2018 के तहत प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार जोर पकड़ लिया है। प्रत्याशी और उनके समर्थक घर घर गांव गांव जाकर जनसंपर्क करके आशीर्वाद लेकर सेवा का अवसर मांग रहे हैं। इस दौरान कहीं-कहीं कार्यकर्ताओं को जनता के कोपभाजन का शिकार होना पड़ रहा है। जनता उन्हें खरी-खोटी सुनाने में भी पीछे नहीं हट रही। ऐसे मामले औसतन रोजाना देखने व सुनने को मिल रहे हैं। **चुनाव आने पर जनसंपर्क शुरू हो जाता है और यह सिलसिला तब तक चलता है जब तक चुनाव नहीं हो जाता उसके बाद कार्यकर्ता और प्रत्याशी गायब हो जाते हैं उनका कोई अता-पता नहीं चलता। ऐसी स्थिति का सामना करने वाले मतदाता नेताओं से अपनी भड़ास निकालने में पीछे नहीं हट रहे।
** जनसंपर्क के दौरान सवाल दाग रही जनता*** जनहित के ज्वलंत मुद्दों की अनदेखी से जनता का तेवर इस बार उग्र दिख रहा है। प्रचार के लिए आने वाले कार्यकर्ताओं के समक्ष जनता तमाम सवाल उठा रही है। जिसपर कार्यकर्ता निरुत्तर हो रहे हैं। गलती दोबारा न करने और प्राथमिकता से समस्याओं के समाधान की बात कह रहे हैं।
**नगरपालिका के वार्डों के भ्रमण के दौरान जनता ने मां नर्मदा के पावन तटों से रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन का सिलसिला बरसों से जारी है जो तमाम कोशिश के बाद थम क्यों नहीं रहा है । *हर वार्ड में सौंदर्यीकरण के नाम पर उद्यान स्थापित है किंतु देखरेख के अभाव में वीरान पड़े हैं। फलस्वरूप बच्चों को मजबूरन सड़कों पर खेलना पड़ रहा है। * हर वार्ड में शिक्षित बेरोजगार रोजगार की तलाश में भटक कर अमूल्य समय को यूंही गवा रहे हैं फिर भी उनको रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया। *नेहरू पार्क की रेल मरम्मत के बाद चंद दिन चलती है फिर खराब हो जाती है। यह सिलसिला बरसों से जारी है।
*साथ ही अस्पताल में डिलीवरी के नाम पर खुलेआम पैसे की मांग की जाती है। निजी स्कूलों में मनमानी फीस लेकर पुस्तके आमदनी बढ़ाने के लिए बदल दी जाती है। इसे रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए।
*पेट्रोल डीजल गैस टंकी के दाम इतने बढ़ गए कि आम आदमी को उपयोग में पसीना आ रहा है। आदि ज्वलंत मुद्दे हैं जिसको लेकर प्रचारकों से जनता सवाल खड़े कर रही है।
** कार्यकर्ता जनता के सवाल को जायज भी ठहराते हैं। और जीत के बाद समाधान का आश्वासन भी देते हैं। किंतु मौका बीत जाने के बाद भूल जाते हैं। याद दिलाने के बाद भी उसके समाधान के लिए एड़ी चोटी का प्रयास नहीं करते। यदि करते तो शायद आज यह नोबत नहीं आती। पिछले कई पंचवर्षीय चुनाव से ऐसे ही हालात निर्मित हो रहे हैं। जनता की समस्याएं जस की तस है। समस्याएं बढ़ रही है कम नहीं हो रही उल्टी स्थिति देखने व सुनने को मिलती है जिसका सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
Comments