प्रचार में मध्यस्थता करने वालों ने किया गोलमाल। प्रत्याशी को हराने की साजिश ??

विधानसभा चुनाव 2018 के प्रत्याशी मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए नित नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। ताकि जनता जनार्दन तक उनकी बात प्रमुखता और प्राथमिकता से पहुंचे।ताजा इसका जीवंत उदाहरण सामने आया है। जिसमें सोशल मीडिया के जरिए प्रत्याशी का प्रचार करने का ठेका लिया गया। ठेका लेने वाले ने अपने चहेतों को लाभ पहुंचा कर शेष ठेके की राशि को गोलमाल कर दिया। इस तरह का खेल चुनाव प्रचार में चल रहा है। प्रत्याशी भले ही इस खेल से वाकिफ ना हो। किंतु यह खेल चुनावी समीकरण बिगाड़ने में अहम भूमिका निभा सकता है। प्रचार में मध्यस्थता करने वालों का सुनियोजित सड़यंत्र तो नहीं। मामला चाहे जो हो किंतु राजनीति में सब जायज है। और कोई किसी का नही। जिसका खामियाजा अंत में प्रत्याशी को भुगतना पड़ता है। ** चुनाव के मद्देनजर प्रत्याशी एवं समर्थकों द्वारा व्यापक पैमाने पर जनसंपर्क किया जा रहा है। जनसंपर्क को जनता तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया गया। जो फेल होता नजर आ रहा है। क्योंकि मध्यस्थता करने वाले ने पारदर्शिता नहीं बरती। जिसके परिणाम स्वरूप विरोध तेजी से पनप रहा है। जो चुनावी माहौल बिगाड़ने में अहम भूमिका निभा सकता है ।कुछेक को सिवाय आश्वासन के कुछ भी नहीं दिया गया। ** सोशल मीडिया पर प्रचार करने को लेकर चल रही सौदेबाजी के संबंध में तमाम सवाल खड़े हो रहे। जिसे यूं ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रत्याशी से मध्यस्थता करने वाला दूसरे प्रत्याशी के लिए तो काम नहीं कर रहा? स्थिति जो भी हो इस तरह का सवाल उठना इसलिए लाजमी है। क्योंकि सोशल मीडिया के समूह के वरिष्ठों द्वारा कनिष्ठों का नाम कटवा कर छल किया गया। यह घटनाक्रम प्रत्याशी के लिए मुसीबत बन सकता है। समय रहते ध्यान देकर गंभीरता से प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो गलत परिणाम सामने आने की संभावनाओं से कतई इंकार नहीं किया जा सकता।


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