झोपड़ी में हो रहा शैक्षणिक कार्यों का बेहतर संचालन। भवन विहीन शाला के शिक्षक का जुनून अनुकरणीय।

हरदा। कर्तव्य निर्वहन का जुनून हो तो भौतिक संसाधनों की कमी आड़े नहीं आती। विषम परिस्थितियों में कर्तव्य व उत्तरदायित्व का निर्वहन कर बेहतर एवं प्रभावी ढंग से शैक्षणिक गतिविधियों का संचालन किया जा सकता है।
*इसका जीवंत उदाहरण आदिवासी बाहुल्य टिमरनी ब्लाक अंतर्गत महागांव का शासकीय प्राथमिक शाला है। भवन नहीं होने के बावजूद सहायक अध्यापक गोविंद पटेल का बच्चों को पढ़ाने का जुनून अनुकरणीय है। शाला भवन के लिए भूमि की व्यवस्था नहीं हो पाने पर श्री पटेल एक झोपड़ी बनाकर शाला संचालित कर रहे हैं शाला की शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावी और रोचक ढंग से संचालित हो रही है बच्चे बड़ी दिलचस्पी से एकाग्र चित्त होकर पढ़ते हैं और अपने भविष्य को सुनहरा बनाने की कोशिश करते हैं खेल खेल में गणित सहित सभी विषयों के शिक्षण बड़े ही सूझबूझ से करते हैं स्कूल के बच्चे बड़े ही अनुशासित एवं आज्ञाकारी है। उन्हें ऐसे संस्कार एवं शिक्षा दी गई है कि बच्चे बिना पूछे कोई भी गतिविधि नहीं करते जिला मुख्यालय से करीब 80 किलोमीटर दूर जिले के अंतिम छोर पर संचालित है। ** दान की भूमि पर बन रहा शाला भवन** सहायक अध्यापक गोविंद पटेल द्वारा शाला भवन के लिए भूमि उपलब्ध हो इसके लिए उल्लेखनीय प्रयास किया गया परिणाम स्वरूप समाजसेवी मोती राम कोरकू ने 50 डिसमिल जमीन दान में दी और भवन का निर्माण शुरू हो गया है जमीनी स्तर तक निर्माण कार्य हो चुका है निकट भविष्य में भवन बन जाने से शाला संचालन में आ रही दिक्कत दूर हो जाएगी। झोपड़ी में स्कूल संचालित होने से बारिश एवं आंधी तूफान के दौरान तमाम दिक्कतें आती है जिसको झेलते हुए ऐन केन प्रकरण शाला संचालित होती है। अध्यापक ने शिक्षा भू दान के महत्व को बताया जिस से प्रभावित होकर मोती लाल कोरकु ने जमीन दान दी।** शिक्षक दल ने किया भ्रमण** जिले की सीमा पर झोपड़ी में बेहतर ढंग से संचालित शाला का गत रविवार को शिक्षक दल ने भ्रमण किया और सहायक अध्यापक के नवाचार को देखा परखा और उसे आत्मसात किया बच्चों का बौद्धिक स्तर और शैक्षणिक गतिविधियों को देख कर शिक्षकों का दल स्तब्ध रह गया यह स्कूल एक सशक्त उदाहरण है जहां भौतिक संसाधन मौजूद होने के बाद भी इच्छाशक्ति की कमी के कारण शैक्षणिक गतिविधियों का बेहतर और प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। इस भ्रमण दल में मनोज जैन व्याख्याता, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्था हरदा, राधवेन्द्र पारे डोमरीकला, देवनारायण विश्कर्मा डोमरीखुर्द, चहट संस्था से शोभा बाजपेयी उड़ा सुनीता जैन विनीता मोघे, समावेश से योगेश मालवीय, राधे श्याम रघुवंशी थे। चहट संस्था द्वारा शाला को 200 प्रेरक कहानियों की पुस्तकें सभी बच्चों को चप्पल भेंट किया गया। वरिष्ठ शिक्षक राघवेंद्र पारे द्वारा खोया पाया बॉक्स शाला को दिया गया। अध्यापक गोविंद पटेल के प्रयास हौसले जुनून की तारीफ की।

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