बीमारी का घर बने खाली पड़े प्लाट- जिला कलेक्टर के आदेश पर वर्षों बाद भी नहीं हो रहा अमल।

हरदा- नगर पालिका हरदा अंतर्गत खाली पड़े प्लाट स्थानीय लोगों के लिए बरसों से सरदर्द बने हुए हैं। बरसात में जहां एक ओर जलजमाव से बीमारी फैलाने वाले मच्छर तेजी से पांव पसारते हैं वहीं दूसरी ओर नालियों का गंदा पानी खाली पड़े प्लाटो में इकट्ठा होगा सड़कर इस कदर बदबू देता है कि स्थानीय लोगों को स्वच्छ हवा मिलना मुश्किल हो जाती है। ऐसे हालात में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा काफी बढ़ गया है। ऐसे हालात नगरपालिका के कुल 35 वार्डों में बरसों से विद्यमान है। इस वास्तविकता से गत वर्ष तत्कालीन अनय द्विवेदी रूबरू हुए और उन्होंने तत्काल खाली पड़े प्लॉटों के गड्ढे को भरने का आदेश दिया। जिस पर आज दिनांक तक अमल नहीं हो सका है ।जबकि खाली पड़े प्लाट बीमारी फैलाने का कारण बन चुके हैं। फिर भी गंभीरता से खाली पड़े प्लाटों को यथास्थित नहीं किया जा रहा है। बताया जाता है कि कुछेक प्लाट तो बारिश के दिनों में तालाब का रुप ले लेते हैं। पानी सड़कर मलेरिया फैलाने वाले मच्छर को पैदा करते है। स्थानीय लोगों को चैन की नींद सोना मुश्किल हो गया है। पार्षद से लेकर समाज सेबको ने अपने नगर पालिका के जवाबदेह अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकर्षक कराया फिर भी खाली पड़े प्लाटों को यथास्थित करने की कार्यवाही नहीं शुरू हो सकी है।जिला कलेक्टर के आदेश के बाद कार्यवाही की उम्मीद जगी थी किंतु लापरवाह अधिकारियों ने जिला कलेक्टर के आदेश की फाइल को ठंडे बस्ते में कैद कर दिया है ।उस पर अमल करना तो दूर रहा इस संबंध में कोई मांग शिकायत परेशानी सुनने को भी तैयार नहीं है। खाली पड़े प्लाट मालिकों व कालोनाइजर के खिलाफ कार्यवाही की मुहिम वर्षों पहले नगरपालिका द्वारा की गई थी। सुअरों द्वारा गंदगी फैलाने और प्लेग जैसी महामारी फैलने की आशंका को ध्यान में रखते हुए खाली प्लाट छोड़ने वालों को खिलाफ कार्रवाई शुरु की गई थी ।किंतु दुर्भाग्य की बात यह है की कार्यवाही को आधे अधूरे में छोड़ दिया गया जो अब भी परेशानी का सबब बना हुआ है। मच्छर और गंदगी स्थानीय लोगों को चेन की नींद सोने नहीं देते हैं। कहीं कहीं तो नलजल सप्लाई की पाइप फूट जाने के कारण गंदा पानी सप्लाई होता है। जिसके कारण दूषित पानी पीकर लोग बीमार हो रहे हैं ।ऐसी स्थिति निर्मित होने के बाद भी अव्यवस्था को दूर करने का कोई ठोस उपाय नहीं किया जा रहा जब की स्थिति दिनोंदिन स्थिति भयावह बनती जा रही है। जब हालात नियंत्रण से बाहर हो जाएगे। तब आनन फानन में अभियान चलाकर ना केवल बीमारी पर काबू पाने का कोई ठोस उपाय किया जाएगा। तभी खाली पड़े प्लाटों को भी व्यवस्थित कर दिया जाएगा ।ऐसा लगता है कि उच्च अधिकारियों को भी ऐसी स्थिति निर्मित होने का इंतजार है इसलिए ऐसे ज्वलंत और गंभीर मुद्दे की अनदेखी कर हजारों लोगों की मौत काल के मुंह में धकेला जा रहा है जो अत्यंत चिंताजनक और हास्यप्रद है।

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